Monday, July 29, 2013

कुछ देर से मिली रौशनी...















आज, कुछ देर से मिली रौशनी,
खाली सड़कों पर उछालती-कूदती,
मेरे तन को चूमती,
कुछ देर से मिली रौशनी ।

शायद, कुछ साथ लायी थी, खाली सड़कों के किनारे,
एक औरत की शौल में लिपटी, पिघली सी,
सोंधी सी गर्मी का एहसास लिए,
खाली सड़कों पर उछालती-कूदती,
मेरे तन को चूमती,
कुछ देर से मिली रौशनी ।।

राहें, तनहा हो कर भी घिरी थी अजनबी चेहरों से,
मुस्कुराते, चेहरों पर चेहरे से,
खाली रास्तों में उड़ती धुल के थपेड़ों में,
मेरे तन से लिपटी रौशनी,
खाली सड़कों पर उछालती-कूदती,
मेरे तन को चूमती,
कुछ देर से मिली रौशनी ।।।

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