चाहे तो सारा जहान बदल दो,
सारी ज़मीन, सारा आस्मां बदल दो,
जिन लोगों से बगावत की बू आती है,
उन मुफलिसों का ईमान बदल दो,
चाहे तो सारा जहान बदल दो,
सारा का सारा हिन्दुस्तान बदल दो ।
रात गुज़री थी गीले तकिये के सिरहाने,
और, मैं न जानू कब सुबह हो गयी ।
सारी रात आवाज़ें आती रही मेरे कानों में,
मेरी रूह मुझसे ही बुद-बुदाती रही कानों में,
पर मैं न मिला, हुआ था कहीं गुम सा,
बस लाश की तरह पड़ा रहा, उठती रही आवाज़ें कानों में ।
वक़्त ही नहीं था मेरे पास मेरे लिए,
मैं तो तुझ में शामिल था कुछ इस तरह ।
कितने सपने सजाते है हर रोज़,
तेरे साथ पाने को,
कितना मनाते है खुदा को रोज़,
तुझे ज़िन्दगी में ता-उम्र लाने को,
ये मैं जानता हूँ या मेरी तन्हाई का तसव्वुर,
कितना जीता है तेरे बिना,
तेरा साथ पाने को ।
सारी ज़मीन, सारा आस्मां बदल दो,
जिन लोगों से बगावत की बू आती है,
उन मुफलिसों का ईमान बदल दो,
चाहे तो सारा जहान बदल दो,
सारा का सारा हिन्दुस्तान बदल दो ।
रात गुज़री थी गीले तकिये के सिरहाने,
और, मैं न जानू कब सुबह हो गयी ।
सारी रात आवाज़ें आती रही मेरे कानों में,
मेरी रूह मुझसे ही बुद-बुदाती रही कानों में,
पर मैं न मिला, हुआ था कहीं गुम सा,
बस लाश की तरह पड़ा रहा, उठती रही आवाज़ें कानों में ।
वक़्त ही नहीं था मेरे पास मेरे लिए,
मैं तो तुझ में शामिल था कुछ इस तरह ।
कितने सपने सजाते है हर रोज़,
तेरे साथ पाने को,
कितना मनाते है खुदा को रोज़,
तुझे ज़िन्दगी में ता-उम्र लाने को,
ये मैं जानता हूँ या मेरी तन्हाई का तसव्वुर,
कितना जीता है तेरे बिना,
तेरा साथ पाने को ।
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