जड़ चेतन मन, जड़ मत हो मगन,
बेल बहुत लम्बी है, तनती रह तू तन,
फूल खिलेगा, सुगन्धित होगा तन,
जड़ चेतन मन, जड़ मत हो मगन ।
पतझड़ की बेला, बस दो पल का मेला,
राह बहुत लम्बी है, चलता चल अकेला,
साथ फूल खिले जो, संग देख कर हो मगन,
बेल बहुत लम्बी है, तनती रह तू तन,
फूल जब खिलेगा, सुगन्धित होगा मन,
जड़ चेतन मन, जड़ मत हो मगन ॥

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