तन्हाई को रुसवाइयों में न ढलने दो,
चेहरों को दर्द की परछाइयों में न घिरने दो,
बाटते चलो प्यार, हर किसी को, हर पल,
यूँ बे-वजह खुद को परछाइयों में न ढलने दो...
जो दर्द का काला बादल है, वो छट जाएगा,
कल जो सवेरा होगा, एक नया सूरज लाएगा,
यूँ आज को कल के यौवन में न खोने दो,
चेहरे को दर्द की परछाइयों में न घिरने दो,
यूँ तन्हाई को रुसवाइयों में न ढलने दो...
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