Wednesday, April 18, 2012

राह चलती रही या कारवां चलता रहा...
















राह चलती रही या कारवां चलता रहा,
मैं चलता रहा या आसमान चलता रहा,
बड़े पेड़ों की छाँव से, उस ओझिल होते गाँव से,
मैं दूर चलता रहा, न चाह कर भी आगे बढ़ता रहा,
वो गुज़रते पत्तों के ऊपर आसमान चलता रहा,
मैं चलता रहा या यादों का कारवां चलता रहा...

लोग मिलते रहे, कुछ बिछड़ते रहे,
बस लिए यादों का कारवां चलता रहे,
कुछ यादों के निशान पड़ते रहे,
या ख़्वाबों के मकान बनते रहे,
जाने राह चलती रही या आसमान चलता रहा,
मैं चलता रहा या यादों का कारवां चलता रहा...

कुछ याद आये किस्से यार पुराने से,
कुछ खो गए भीड़ में गुज़रे ज़माने से,
लोग मिलते रहे, बिछड़ते रहे,
मैं, लिए यादों का कारवां चलता रहा,
राह चलती रही या आसमान चलता रहा,
मैं चलता रहा या यादों का कारवां चलता रहा...

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