Thursday, April 26, 2012

अधूरे से ख़्वाब...

अधूरे से ख़्वाब है, चांदी के चंद सिक्कों से,
बहुत बे-जोड़, नायाब है, आँखों में बंद किस्से से,
आँख खोलते तो बोलते, कहते-सुनते यादों के पुराने किस्से से,
वरना यादों में कैद रहते, बातों के पुराने किस्से से,
कभी सुनहरे हो जाते पके बाल की तरह,
कभी छेड़ते बचपन के तराने की तरह,
कभी खो जाते यादों में गुड्डे-गुडिया की कहानी की तरह,
या यादों में रह जाते बस निशानी की तरह,
अधूरे से बंद ख़्वाब है, चांदी के चंद सिक्कों से,
बहुत बे-जोड़, नायाब है, आँखों में बंद किस्से से...

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