लिखत-लिखत कलम घिसे, गहरी होत दवात, मन तरसे नए शब्दों को, बुझे न लिखन की प्यास,
कह अभिनव, नव-नूतन बनके, लिख दो दिल की आस,
मन तरसे नए शब्दों को, बुझे न लिखन की प्यास...
Tuesday, December 11, 2012
ये रात...
ये रात, सपनों से भरी, ओढ़ आई चांदनी,
सपनों की चादर सजाये, बाहें फलाये खाड़ी,
ताल पर कुछ गीत सजते, राह उजियारी नयी,
दूर बजती धुन नयी लिए परछाई हो खाड़ी,
ये रात, सपनों से भरी, ओढ़ आई चांदनी,
सपनों की चादर सजाये, बाहें फलाये हो खाड़ी ।
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