Tuesday, December 11, 2012

ये रात...

ये रात, सपनों से भरी, ओढ़ आई चांदनी,
सपनों की चादर सजाये, बाहें फलाये खाड़ी,
ताल पर कुछ गीत सजते, राह उजियारी नयी,
दूर बजती धुन नयी लिए परछाई हो खाड़ी,
ये रात, सपनों से भरी, ओढ़ आई चांदनी,
सपनों की चादर सजाये, बाहें फलाये हो खाड़ी ।

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