लिखत-लिखत कलम घिसे, गहरी होत दवात, मन तरसे नए शब्दों को, बुझे न लिखन की प्यास,
कह अभिनव, नव-नूतन बनके, लिख दो दिल की आस,
मन तरसे नए शब्दों को, बुझे न लिखन की प्यास...
Friday, December 28, 2012
नयी उड़ान...
सपनों के नए पंख लगा, फिर नयी उड़ान भरू,
नयी ज़मीं के ख़्वाब सजा, नया एक आस्मां चुनु,
थम गए थे जो पंख कटे, जंग लगे दरखतों से,
उनको सजा फिर नया जहान भरू,
सपनों के नए पंख लगा, फिर नयी उड़ान भरू ।
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