कहानी ये झूठी हमें सुनाई गयी है,
भड़की हुई चिंगारी बुझाई गयी है,
ये जो आग है जल रही सीनों में,
ये जो दर्द है इतना जीने में,
वो शमा यूँ बुझाई गयी है,
कहानी ये झूठी हमें सुनाई गयी है ।
डरता हूँ, कहीं यह आम न हो जाए,
हर औरत, कहीं बलात्कार के नाम न हो जाए,
कहीं मेरा बेटा का "बलात्कारी" नाम न हो जाए,
कल मेरी बहन-बेटी बदनाम न हो जाए,
डरता हूँ, कहीं ये आम न हो जाए,
ये जो आग है जल रही सीनों में,
जो दर्द है इतना जीने में,
वो शमा यूँ बुझाई गयी है,
कहानी ये झूठी हमें सुनाई गयी है ।।

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