क्या खूब लफ्ज़-ओ-अदाएगी है,
क्या खूब ख्वाहिशों की नुमाएगी है,
लफ़्ज़ों को पिरो, सारी बात कह दी,
दिल-इ-अरमान की सौगात कह दी,
मैंने तो बस कोशिश की चंद बातें कहने की,
तुमने तो बूंदों को पकड़ बरसात कह दी ।
गम न कर, यह तो गुज़र जाएगा,
बस साथ गुज़रा लम्हा याद आएगा,
मैं हूँ नहीं जिंदा बेशक,
पर जाने के बाद ये "अभिनव" बा-खूब याद आएगा ।
आँखों में छुपा कर, दिल में बसा लो,
बस गले लगा कर, अपना बना लो,
प्यार की चाहत, स्नेह का भूखा हूँ,
प्यार भरी रोटी दे कर, मुझे अपना बना लो ।
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