गलत है शिकवा, क्यूँ दिल से लगाए बैठे हो,
नादानी की गलती को, दिल में जलाए बैठे हो,
रूठो न हमसे, जीना मुनासिब नहीं तुम बिन,
क्यूँ इतनी बड़ी सजा में, हमे जलाए बैठे हो ।
बिना वजह का शिकवा है, बेकार की शिकायत है,
क्यूँ दर्द दिए जा रहे हो खुद को, क्यूँ ये कवायद है,
मत दो दर्द खुद को, बहुत कोफ़्त होती है,
मुस्कुराओ हर पल, क्यूंकि ज़िन्दगी की यही इनायत है ।
सवाल और लाखों ख़्याल क्यूँ है,
उलझी सी है ज़िन्दगी या उलझे ख़्याल क्यूँ है,हो तुम मुझ में ही कहीं,
तो फिर तुम्हे पाने का ख़्याल क्यूँ है ।
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