लिखत-लिखत कलम घिसे, गहरी होत दवात, मन तरसे नए शब्दों को, बुझे न लिखन की प्यास,
कह अभिनव, नव-नूतन बनके, लिख दो दिल की आस,
मन तरसे नए शब्दों को, बुझे न लिखन की प्यास...
Tuesday, December 11, 2012
चलते-चलते...
राह में चलते-चलते कुछ लफ्ज़ उठा लाया हूँ,
कुछ मेरे हिस्से के तो कुछ तेरे हिस्से से कहने आया हूँ,
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