मोहोब्बत की जो मैंने, कोई खता तो नहीं,
एक आस सजाये बैठा हूँ, कोई सजा तो नहीं,
हाँ! इंतज़ार में जिंदा हूँ ज़माने की तरह,
राह-इ-नज़रें टिकाये बैठा हूँ, कोई खता तो नहीं ।
लफ़्ज़ों से लफ्ज़ मिला ले अगर,
दिल को दिल से मिला ले अगर,
हाँ में हाँ मिला ले अगर,
तो ज़िन्दगी रोशन सी हो जाए,
तुमको जो दिल में बसा ले अगर,
नज़रों में तुमको समां ले अगर,
बाहों में तुमको छुपा ले अगर,
तो खुशियों का दामन भी भर जाए ।
जाने किस-किस मर्ज़ से,
मैंने रिश्ता जोड़ लिया,
कोई अपना दिखा भीड़ में,
कोई सपना सजा झील में,
मैंने दिल से दिल जोड़ लिया,
जो मुस्कुरा कर हाथ थामा,
मैंने अपना सांस थामा,
हाथों को जोड़ लिया,
तुमसे रिश्ता जोड़ लिया,
इश्क की तर्ज़ पे,
जाने किस-किस मर्ज़ से,
मैंने रिश्ता जोड़ लिया ।
मैंने रिश्ता जोड़ लिया,
कोई अपना दिखा भीड़ में,
कोई सपना सजा झील में,
मैंने दिल से दिल जोड़ लिया,
जो मुस्कुरा कर हाथ थामा,
मैंने अपना सांस थामा,
हाथों को जोड़ लिया,
तुमसे रिश्ता जोड़ लिया,
इश्क की तर्ज़ पे,
जाने किस-किस मर्ज़ से,
मैंने रिश्ता जोड़ लिया ।
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