बात बड़ी न बोलिए, जो कच्ची पड़ जाए,
बात वही बोलिए, जो दिल में गड़ जाए,
झूठ-साच की बात यह, देर समझ में आये,
बात बड़ी न बोलिए, जो कच्ची पड़ जाए ।
बात कटु "मैं" बोलिए, दिल में भी चुभ जाए,
पर ध्यान-धपट के सोचिये, दिल क्यूँ है दुखाये,
बात बुरी वही है, जो अश्कों में तर जाए,
बूँद-बूँद बरस कर, घाव बड़ा कर जाए,
तो, बात बड़ी न बोलिए, जो कच्ची पड़ जाए,
बात वही बोलिए, जो दिल में गड़ जाए ।।

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