जब मिलता हूँ खुद से, एक याद पुरानी आती है,
कुछ कहती मुझसे कानों में, कुछ याद मुझे दिलाती है,
दो आँखें तकती रास्ता मेरा, मुझे साँझ वही बुलाती है,
जब भी मिलता हूँ खुद से, एक याद पुरानी आती है,
शायद तेरे चेहरे की एक मीठी छाप बनाती है,
होठों पर पिघले नीलम की एक आस अजब जगाती है,
पलकों पर रुकते मोती की, एक भीगी आस बुलाती है,
कुछ कहती मुझसे कानों में, कुछ याद मुझे दिलाती है,
जब भी मिलता हूँ खुद से, एक याद पुरानी आती है ।
एक चेहरा जाना-पहचाना,
कुछ अपना, कुछ बेगाना,
थामे कोई हाथ मेरा, अपनेपन की याद दिलाती है,
निखरी जुल्फों की वो खुशबू, मुझे तेरी याद दिलाती है,
कुछ कहती मुझसे कानों में, कुछ याद मुझे दिलाती है,
दो आँखें तकती रास्ता मेरा, मुझे साँझ वही बुलाती है,
जब भी मिलता हूँ खुद से, एक याद पुरानी आती है ।।

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