लिखत-लिखत कलम घिसे, गहरी होत दवात, मन तरसे नए शब्दों को, बुझे न लिखन की प्यास,
कह अभिनव, नव-नूतन बनके, लिख दो दिल की आस,
मन तरसे नए शब्दों को, बुझे न लिखन की प्यास...
Wednesday, February 13, 2013
तनहा हूँ...
तनहा था कल भी, आज भी तनहा हूँ,
लम्हा था कल भी, आज भी लम्हा हूँ, वजूद न कल था मेरा, न आज है, मोहब्बत थी भी जिंदा या नहीं, आज एक राज़ है, अनचाहा लम्हा था कल भी, आज भी लम्हा हूँ, तनहा था कल भी, आज भी तनहा हूँ ।
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