Monday, February 25, 2013

एहसास-ए-कलम...

एहसास-ए-कलम तब हुआ, जब लिखना छोड़ चुके,
बोली हमारी तब लगी, जब बिकना छोड़ चुके,
ख़रीदार भी वो बना, जिसके वास्ते रूह से नाता तोड़ चुके,
एहसास-ए-कलम तब हुआ, जब लिखना छोड़ चुके ।

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