लिखत-लिखत कलम घिसे, गहरी होत दवात, मन तरसे नए शब्दों को, बुझे न लिखन की प्यास,
कह अभिनव, नव-नूतन बनके, लिख दो दिल की आस,
मन तरसे नए शब्दों को, बुझे न लिखन की प्यास...
Monday, February 25, 2013
एहसास-ए-कलम...
एहसास-ए-कलम तब हुआ, जब लिखना छोड़ चुके,
बोली हमारी तब लगी, जब बिकना छोड़ चुके,
ख़रीदार भी वो बना, जिसके वास्ते रूह से नाता तोड़ चुके,
एहसास-ए-कलम तब हुआ, जब लिखना छोड़ चुके ।
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