वो कसमें ही क्या जो टूटे नहीं,
वो वादे ही क्या जो रूठे नहीं,
कसमों का फ़साना नया,
वादों का ज़माना नया,
वो प्यार ही क्या जो रूठे नहीं,
वो कसमें ही क्या जो टूटे नहीं ।
आज, आदतों का ज़माना भी बदला,
आज, यार वो पुराना बदला,
गुज़रे यादों के कारवां भी छूटे,
अब तो शिकवे-गिला भी रूठे,
पर, वो वाडे ही क्या जो रूठे नहीं,
वो प्यार ही क्या जो छूटे नहीं,
कसमें ही क्या जो टूटे नहीं ।।
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