नाम-ए-तराश की तलाश में, मुक्कम्मल जहान खोजते रहे,
कहीं ज़मीन खोजी तो कहीं आसमां खोजते रहे,
नाम-ए-हासिल न हुआ ता-उम्र,
और झूठे नाम के अक्स में, खुद का निशाँ खोजते रहे,
कहीं ज़मीन खोजी तो कहीं आसमां खोजते रहे,
नाम-ए-तराश की तलाश में, मुक्कम्मल जहान खोजते रहे ।
शौक-ए-नाम की आस में अभिनव (नया), कागज़ कोरे खोजते रहे,
कहीं खुद में नफ़ी, तो दूसरों में नुकसाँ खोजते रहे,
मिल न सका हौसला-ए-ख़ाक करने का खुद को,
दफ़न हो न सके वो लफ़्ज़ों का मुकाम खोजते रहे,
कहीं ज़मीन खोजी तो कहीं आसमां खोजते रहे,
नाम-ए-तराश की तलाश में, खुद का निशाँ खोजते रहे ।।
कहीं ज़मीन खोजी तो कहीं आसमां खोजते रहे,
नाम-ए-हासिल न हुआ ता-उम्र,
और झूठे नाम के अक्स में, खुद का निशाँ खोजते रहे,
कहीं ज़मीन खोजी तो कहीं आसमां खोजते रहे,
नाम-ए-तराश की तलाश में, मुक्कम्मल जहान खोजते रहे ।
शौक-ए-नाम की आस में अभिनव (नया), कागज़ कोरे खोजते रहे,
कहीं खुद में नफ़ी, तो दूसरों में नुकसाँ खोजते रहे,
मिल न सका हौसला-ए-ख़ाक करने का खुद को,
दफ़न हो न सके वो लफ़्ज़ों का मुकाम खोजते रहे,
कहीं ज़मीन खोजी तो कहीं आसमां खोजते रहे,
नाम-ए-तराश की तलाश में, खुद का निशाँ खोजते रहे ।।
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