लिखत-लिखत कलम घिसे, गहरी होत दवात, मन तरसे नए शब्दों को, बुझे न लिखन की प्यास,
कह अभिनव, नव-नूतन बनके, लिख दो दिल की आस,
मन तरसे नए शब्दों को, बुझे न लिखन की प्यास...
Tuesday, February 12, 2013
कैसा इश्क है यह?
गिला भी तुझसे, शिकायत भी तुझसे,
प्यार भी तुझसे, इनायत भी तुझसे, कैसा इश्क है यह? जो उर्स भी तुझसे, इनायत भी तुझसे, जान भी तुझसे, शिकायत भी तुझसे, गिला भी तुझसे, शिकायत भी तुझसे, इश्क भी तुझसे और इनायत भी तुझसे ।
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