अब न पीते है यारों, महफिलों में बैठ कर,
अब तो जीते है यारों, बस यूँ ही जी कर,
हाल-इ-दिल ऐसा भी होगा कभी, यह सोचा न था,
साज़-इ-दिल ऐसा भी होगा कभी, यह सोचा न था,
कभी यूँ ही रंज के सहारे, जिया कर लेते थे, महफिलों में बैठ कर,
अब न पिया करते है यारों, महफिलों में बैठ कर,
अब तो जीते है यारों, बस यूँ ही जी कर...
No comments:
Post a Comment