Monday, August 29, 2011

चेहरों के पीछे...

चेहरों के पीछे कई चेहरे छुपे होते है,
नज़रों के घाव क्यूँ गहरे होते है,
काश! हम भी झूठे चेहरे बनाना सीख लेते,
तो न दिल पर ज़ख्म इतने गहरे होते…
चेहरों की भाषा क्यूँ पढ़ नहीं पाती आँखे,
क्यूँ हर चेहरे को अपना मान लेती है आँखे,
काश! हम भी समझ लेते झूठे चेहरों के खेल,
तो न दिल पर यूँ ज़ख्म इतने गहरे होते,
चेहरों के पीछे कई चेहरे छुपे होते है,
नज़रों के घाव क्यूँ गहरे होते है…

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