ए ! काले-काले बादलों, अब तो बरस जाओ,
प्यासी है धरती, अब तो न तड़पाओ,
प्यासा है मेरा मन, भीग जाने के लिए,
तरसे है ये नयन, तुझको पाने के लिए,
अब तो आ कर यह प्यास बुझाओ,
बरसो रे! काले मेघो, अब तो बरस जाओ...
सूखी है धरती, न गीला है अम्बर,
प्यासी है ऋतुये, जैसे हो मैं नर,
अब तो सावन की घटा लाओ,
बरसो रे! काले मेघो, अब तो बरस जाओ...
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