बचपन के दिन इतने ख़ास थे, तभी यादें ताज़ा है,
आज तो बस अंधी दौड़ है, दूरी बहुत ज्यादा है,
वक़्त यूँ गुज़र जायेगा मेरा, यह कभी सोचा न था,
लम्हा यूँ ठहर न जायेगा मेरा, यह कभी सोचा न था,
वो छोटी नेकरों के दिन, चवन्नी की टॉफी याद है तो यादें ताज़ा है,
आज तो बस अंधी दौड़ है और दूरी बहुत ज्यादा है...
आज तो बस अंधी दौड़ है, दूरी बहुत ज्यादा है,
वक़्त यूँ गुज़र जायेगा मेरा, यह कभी सोचा न था,
लम्हा यूँ ठहर न जायेगा मेरा, यह कभी सोचा न था,
वो छोटी नेकरों के दिन, चवन्नी की टॉफी याद है तो यादें ताज़ा है,
आज तो बस अंधी दौड़ है और दूरी बहुत ज्यादा है...
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