आज गहन ख्यालों में उलझा है दिल,
क्यूँ यूँ सवालों में उलझा है दिल,
नोचने लगी है यादें, कचोटती मुझे अंदर-अंदर,
आज क्यूँ ऐसे ख्यालों में उलझा है दिल…
सवालों की झड़ी सी लगी है अंदर,
साँसों में भी दर्द की सिरहन है,
पत्थर रुपी काया में दिल कहाँ से आया,
कुछ ऐसे ही अनसुलझे ख्यालों में उलझा है दिल,
आज गहन सवालों में उलझा है दिल…
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