Tuesday, August 30, 2011

लफ्ज़ हर एक पाक है...

लफ्ज़ हर एक पाक है, उर्स की रात की तरह,
जज़्ब हर बा-नोश है, गुलाबी बाग़ की तरह,
मेरे लफ़्ज़ों को बेमतलब न बोलो काफिर,
यह तो इबादत है उस अल्लाह पाक की तरह,
लिख यूँ ही देता हूँ, कुछ न कुछ खुद-ब-खुद,
पर दिल से हर लफ्ज़ जुड़ा है, एक नए साज़ की तरह,
मेरे लफ़्ज़ों को बेमतलब न समझो काफिर,
यह तो इबादत है उस अल्लाह पाक की तरह…

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