क्यूँ कभी बनते, कभी बिगड़ते बादल,
क्यूँ चाहतों के पंख लिए सवारते बादल,
क्यूँ रंगों की बरसात लिए, बरसते नहीं मुझ पर बादल,
क्यूँ दिलों के भीगने की हसरतों को न समझते बादल,
क्यूँ बारिशें मद्धम सी है, क्यूँ चाहतें ये कम सी है,
क्यूँ बादलों के गुच्छे बरसते नहीं मुझ पर, क्यूँ बरसने की चाहत ये कम सी है...
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