रात ऐसे गुज़रेगी, मैंने सोचा न था,
दिल पर
बात ऐसे गुज़रेगी, मैंने सोचा न था,
ऐसे होगा मेरी ख्वाहिशों का क़त्ल, मैंने सोचा न था,
ऐसा होगा
मेरे दर्द का इम्तेहान, मैंने सोचा न था,
झगड़ा लाज़मी न था करना, फिर भी कर बैठे,
आंसुओं का सबब लाज़मी न था, फिर भी बिखर बैठे,
ऐसे होगा
मेरे अरमानों का बलात्कार, मैंने सोचा न था,
ऐसे होगा
मेरे दर्द का इम्तेहान, मैंने सोचा न था,
रात कुछ
यूँ गुज़रेगी, मैंने सोचा न था,
दिल पर
ज़ख्मों के साथ ऐसे गुज़रेगी, मैंने सोचा न था…
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